कर्नाटक में विपक्षी भाजपा ने टीपू सुल्तान की जयंती पर कांग्रेस सरकार की ओर से किए जा रहे आयोजन से खुद को अलग रखने का फैसला किया है। राज्य के भाजपा अध्यक्ष प्रहलाद जोशी ने कहा कि टीपू सुल्तान एक कट्टर मुसलमान था, जिसने कई हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराया। पार्टी उनकी जयंती पर 10 नवंबर को होने वाले किसी कार्यक्रम में शरीक नहीं होगी। जोशी ने कहा कि उन्होंने यह आदेश जारी किया है कि भाजपा का कोई भी प्रतिनिधि किसी भी रूप में कार्यक्रम में शामिल नहीं होगा।
पिछले सप्ताह आरएसएस के क्षेत्रीय सरसंघचालक वी. नागराज ने भी कहा था कि संघ टीपू सुल्तान की जयंती मनाए जाने के खिलाफ है। बीते शुक्रवार नागराज ने कहा था, ‘ज्यादातर लोग नहीं चाहते कि टीपू सुल्तान की जयंती मनाई जाए। टीपू मैसूर का शासक था, पर बड़ा कट्टर राजा था। ऐसा हम नहीं कह रहे, यह इतिहास में लिखा है। उसकी तलवार काफिरों की हत्या के लिए ही उठते थे।’
कई हिंदू धार्मिंक संगठनों और मंगलुरु यूनाइटेड क्रिश्चियन एसोसिएशन ने भी टीपू सुल्तान की जयंती मनाए जाने का विरोध किया है। एसोसिएशन का कहना है कि टीपू सुल्तान ने कर्नाटक के तटीय इलाकों में कई चर्चों को तबाह किया था। उडुपी में पेजवार मठ के प्रमुख ने टीपू सुल्तान को ‘विवादित शख्सियत’ बताते हुए जयंती पर कार्यक्रम आयोजित करने के कांग्रेस सरकार के फैसले का विरोध किया है।
उधर, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने कहा है कि दक्षिणपंथी हिंदूवादी संगठन कार्यक्रम का विरोध कर सांप्रदायिक तनाव पैदा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘टीपू सुल्तान सेक्युलर थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ तीन लड़ाइयां लड़ीं। एक तरह से टीपू और अंग्रेजों के बीच हुई मैसूर की लड़ाई से ही जंग-ए-आजादी की शुरुआत हुई थी।’
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