ये जौनपुर की अखंड माँ है इनका असली नाम रेडुका माता है ये परशुराम की माँ है और यमदग्न ऋषि की पत्नी है इनकी कहानी बड़ी ही अद्भुत है एक बार जब यमदग्न ऋषि और उनकी पत्नी रेडुका जब अपने आश्रम पे थे तभी राजा सहस्त्र बाहू जो यमदग्न ऋषि की पत्नी के बहनोई थे एक बार जब वो युद्ध करके लौट रहा था तो वो आराम करने के लिए यमदग्न ऋषि की आश्रम में रुका रेडुका परेशान हो गई की मैं राजा को इतनी जल्दी कहा से भोजन तैयार करुगी राजा चले गये नहाने तभी रेडुका भाग कर अपने पति यमदग्न ऋषि के पास आई और बोली राजा गए है नहाने उन्हें भूख लगी है इतनी जल्दी कहा से भोजन तैयार करू तब ऋषि ने बोला की एक साफ स्थान पर गोबर लिप डालो और गौ माता को वहा खड़ा करो और उनसे प्रार्थना करो की वो हर प्रकार का भोजन तैयार करे और उनका भोजन तैयार हो गया राजा के आने तक में उनके पास भोजन परोश दिया गया राजा ने कहा की इतनी जल्दी कैसे भोजन तैयार हो गया तब रेडुका ने बताया की ये भोजन कामधेनु ने बनाया है तब राजा ने पूछा की ये कामधेनु कौन है ,उन्होंने बताया की ये गौ माता है उन्होंने ही भोजन तैयार किया है कामधेनु उन्ही का नाम है तब राजा के मन में लालच आई और उसने कहा की ये गाय तो राजमहल में होना चहिये और वो ऋषियों को मार के कामधेनु ले के चले गए जब परशुराम अपने घर आए तो अपने पिता का हाल देख परेशान हो गए और उन्होंने पूछा की आप का ये हाल किसने किया तब उन्होंने बताया की ये हाल तुम्हारी माँ के बहनोई ने किया है यमदग्न ऋषि ने परशुराम जी से बोले की तुमसे एक बचन चाहिए परशुराम को पितृ और माँ के भक्त थे यमदग्न ऋषि ने बोला की तुम अपने माँ का सर काट दो पिता का आदेश पते ही उन्होंने अपने माता का सर काट दिया ,यमदग्न ऋषि ने खुश होकर बोले मांगों पुत्र तुम्हे क्या चहिए तब परशुराम जी ने बोला की आप मेरे माता को पुनह जीवित करे तब यमदग्न ऋषि ने उन्हें पुनह जीवित कर दिया उन्ही का सर जाके जहाँ गिरा वही उनका मन्दिर बना उनको लोग कई नाम से पुकारना शुरू कर दिया कोई माँ रेडुका ,अखंड माता,अख्ड़ो माता ,अम्बे माता के नाम से लोग पूजने लगे ...मनीष
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