रोहतक। हैदराबाद के 'सरदार मेला' में भाग लेने आया एक भैंसा इस समय सुर्खियों में है। इस मुर्रा भैंसे की खासियत है इसकी कीमत। इसके मालिक के अनुसार, उसने इस भैंसे को 7 करोड़ में भी बेचने से इनकार कर दिया। हरियाणा से आए इस भैंसे का नाम युवराज है।
ये भैंसा अपने मालिक के लिए इनकम का स्रोत बना हुआ है। हरियाणा के किसान करमवीर सिंह युवराज नाम से मशहूर इस भैंसे का स्पर्म (वीर्य) बेचकर हर साल 50 लाख रुपए तक की कमाई करते हैं। इस भैंसे के स्पर्म की मांग पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित कई राज्यों में है। करमवीर ने ‘युवराज’ को पंजाब कृषि मेले से खरीदा था। यह भैंसा मुर्रा नस्ल का है जो भारत में पाए जाने वाली नस्लों में सबसे बढ़िया नस्ल मानी जाती है।
भैंसे पर हर महीने खर्च होते हैं 25 हजार
कद में पांच फुट 9 इंच युवराज का वजन 14 क्विंटल है। प्रतिदिन युवराज को पीने के लिए बीस लीटर दूध और करीब 19 किलो अन्य खाद्य सामग्री चाहिए होती है। यह सब खाने-पीने के बाद युवराज 4 किमी सैर करता है। इसके खाने-पीने और रहन-सहन पर प्रतिमाह 25 हजार रुपए खर्च आता है। यह अपने मालिक को सालाना 50 लाख रुपए कमाकर देता है।
नाइट्रोजन के कंटेनर में रखते हैं भैंसा का वीर्य
करमवीर सिंह भैंसे के स्पर्म को अपने घर में -196 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर 50 लीटर तरल नाइट्रोजन के कंटेनर में रखते हैं।
22 देशों में शिरकत करने का है न्योता
करमवीर ने बताया कि वे अभी तक देश के कई शहरों में आयोजित पशु मेले में शिरकत कर चुके हैं। ब्राजील, तुर्की, कनाडा और वेनेजुएला समेत 22 देशों से उन्हें पशु मेलों में शिरकत करने का न्योता भी मिल चुका है, लेकिन अपने भारी-भरकम युवराज के साथ विदेश जाना उनके लिए सबसे बड़ी मुसीबत है।
क्या है मेले की खासियत
हैदराबाद में लगे इस मेले को दुन्नापोथुला पांडुगा के नाम से भी जाना जाता है। दिपावली के दूसरे दिन लगने वाले इस मेले में भारत के अलग-अलग हिस्सों से लोग अपने भैंसें लेकर आते हैं। इस दौरान लोग अपनी भैंस को फूलों की माला से सजाते हैं, उसकी सींगों को रंगते हैं और गलियों में सभी भैसों की परेड भी निकाली जाती है।
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