शाही किला को करार किला और जौनपुर किला के नाम से भी जाना जाता है। इसका इतिहास बेहद उतार-चढ़ाव वाला रहा है। सबसे पहले इस किले को एक टीले पर बनाया गया था और इसे केररार किला कहा जाता था। 1376 से 1377 के बीच फिरोज शाह तुगलक के सेनापति इब्राहिम नेब बरबक ने इसे फिर से बनवाया।
यह किला गोमती नदी पर बने शाही पुल के पास ही है। इसके निर्माण में इस्तेमाल की गई ज्यादातर सामग्री कन्नौजी के राठौड़ राजा के समय के ऐतिहासिक स्थलों की है।
100 साल बाद लोधियों ने फिरोज शाह तुगलक को युद्ध में हरा दिया और इस किले को नष्ट कर दिया। हालांकि मुगल बादशाह हुमायूं और अकबर के शासनकाल में इस किले का अच्छे से नवीनीकरण किया गया। बाद में इस किले पर अंग्रेजों ने कब्जा कर किया। हालांकि 1857 में भारत की आजादी की पहली लड़ाई में इसे फिर से नष्ट कर दिया गया। जौनपुर से 2.2 किमी दूर यह किला शहर का प्रमुख आकर्षण है।
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