Saturday, November 14, 2015

सचिन रमेश तेंदुलकर, क्रिकेट के कीर्तिमान ,कुछ अन्य उल्लेखनीय घटनायें ,टेस्ट क्रिकेट से संन्यास

क्रिकेट के कीर्तिमान 


सचिन का एक प्रशंसक
  • मीरपुर में बांग्लादेश के खिलाफ १०० वाँ शतक।
  • एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में दोहरा शतक जड़ने वाले पहले खिलाड़ी।
  • एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा (१८००० से अधिक) रन।
  • एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा ४९ शतक।
  • एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय विश्व कप मुक़ाबलों में सबसे ज्यादा रन।
  • टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा (51) शतक[12]
  • ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ५ नवम्बर २००९ को १७५ रन की पारी के साथ एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में १७ हजार रन पूरे करने वाले पहले बल्लेबाज बने।
  • टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रनों का कीर्तिमान।[13]
  • टेस्ट क्रिकेट १३००० रन बनने वाले विश्व के पहले बल्लेबाज।
  • एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा मैन ऑफ द सीरीज।
  • एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा मैन ऑफ द मैच।
  • अन्तर्राष्ट्रीय मुक़ाबलो में सबसे ज्यादा ३०००० रन बनाने का कीर्तिमान।

कुछ अन्य उल्लेखनीय घटनायें 

  • ५ नवम्बर २००९: अपना ४३५ वाँ मैच खेल रहे तेंदुलकर ने तब तक ४३४ पारियों में ४४.२१ की औसत से १७००० रन बनाये थे जिसमें ४५ शतक और ९१ अर्धशतक शामिल हैं। तेंदुलकर के बाद एक दिवसीय क्रिकेट में सर्वाधिक रन श्रीलंका के सनथ जयसूर्या ने बनाये हैं। उनके नाम पर इस मैच से पहले तक १२२०७ रन दर्ज़ थे। जयसूर्या ४४१ मैच खेल चुके है। अब तक ४०० से अधिक एकदिवसीय मैच केवल इन्हीं दो खिलाडि़यों ने खेले हैं।
  • तेंदुलकर ने अपने एक दिवसीय करियर में सर्वाधिक रन आस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाये। उन्होंने विश्व चैम्पियन के खिलाफ ६० मैच में ३००० से ज्यादा रन ठोंके जिसमें ९ शतक और १५ अर्धशतक शामिल हैं। श्रीलंका के खिलाफ भी उन्होंने सात शतक और १४ अर्धशतक की मदद से २४७१ रन बनाये लेकिन इसके लिये उन्होंने ६६ मैच खेले।
  • तेंदुलकर ने घरेलू सरजमीं पर १४२ मैच में ४६.१२ के औसत से ५७६६ और विदेशी सरजमीं पर १२७ मैच में ३५.४८ की औसत से ४१८७ रन बनाये। लेकिन वह सबसे अधिक सफल तटस्थ स्थानों पर रहे हैं जहाँ उन्होंने १४०मैच में ६०५४ रन बनाये जिनमें उनका औसत ५०.८७ है। वह भारत के अलावा इंग्लैंड (१०५१), दक्षिण अफ्रीका (१४१४), श्रीलंका (१३०२) और संयुक्त अरब अमीरात (१७७८) की धरती पर भी एक दिवसीय मैचों में एक हजार रन बना चुके हैं।
  • पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने तेंदुलकर को सलामी बल्लेबाज के तौर पर भेजने की शुरुआत की थी जिसमें मुम्बई का यह बल्लेबाज खासा सफल रहा। ओपनर के तौर पर उन्होंने १२८९१ रन बनाए हैं। जहाँ तक कप्तानों का सवाल है तो तेंदुलकर सबसे अधिक सफल अजहर की कप्तानी में ही रहे। उन्होंने अजहर के कप्तान रहते हुए १६० मैच में ६२७० रन बनाये जबकि सौरभ गांगुलीकी कप्तानी में १०१ मैच में ४४९० रन ठोंके। हालांकि स्वयं की कप्तानी में वह अधिक सफल नहीं रहे और ७३ मैच में ३७.७५ के औसत से केवल २४५४ रन ही बना पाये।
  • २४ फ़रवरी २०१०: सचिन तेंदुलकर ने अपने वनडे क्रिकेट के ४४२ वें मैच में २०० रन बनाकर ऐतिहासिक पारी खेली। वनडे क्रिकेट के इतिहास में दोहरा शतक जड़ने वाले पहले खिलाड़ी बने।
  • तेंदुलकर १६० टेस्ट मैचों में भी अब तक १५००० रन बना चुके हैं। और इस तरह उनके नाम पर अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में ३०००० से ज्यादा रन और १०० शतक दर्ज़ हैं। तेंदुलकर ने अपने एक दिवसीय कैरियर में सर्वाधिक रन आस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाये। उन्होंने विश्व चैंपियन टीम के खिलाफ ६० मैच में ३००० से ज्यादा रन ठोंके जिसमें ९ शतक और १५ अर्धशतक शामिल हैं।
  • सचिन ने २००३ के वर्ल्ड कप में रिकॉर्ड ६७३ रन बनाए थे। तेंदुलकर के २००३ वर्ल्ड कप में प्रदर्शन के बारे मे भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने कहाकि पूरे टूर्नामेंट के दौरान सचिन ने नेट में एक भी गेंद नहीं खेली थी। समय के हिसाब से अपनी तैयारियों में बदलाव करते रहते हैं।[14]

तेंदुलकर क्रिकेट के मैदान में 

सचिन तेंदुलकर अक्टोबर २०१० में
सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट कभी अपने लिये नहीं खेला। वह हमेशा ही अपनी टीम के लिये या उससे भी ज्यादा अपने देश के लिये खेले। उनके मन में क्रिकेट के प्रति अत्यधिक सम्मान का भाव रहा। उन्होंने आवेश में आकर कभी कोई टिप्पणी नहीं की। किसी खिलाड़ी ने अगर उनके खिलाफ कभी कोई टिप्पणी की भी तो उन्होंने उस टिप्पणी का जवाब जुबान से देने के बजाय अपने बल्ले से ही दिया।
सचिन जब भी बल्लेबाजी के लिये उतरे, उन्होंने मैदान पर कदम रखने से पहले सूर्य देवता को नमन किया। क्रिकेट के प्रति उनके लगाव का अन्दाज़ इसी घटना से लगाया जा सकता है कि विश्व कप के दौरान जब उनके पिताजी का निधन हुआ उसकी सूचना मिलते ही वह घर आये, पिता की अन्त्येष्टि में शामिल हुए और वापस लौट गये। उसके बाद सचिन अगले मैच में खेलने उतरे और शतक ठोककर अपने दिवंगत पिता को श्रद्धांजलि दी।
अच्छा क्रिकेट खेलने के लिये ऊँचे कद को वरीयता दी जाती है लेकिन छोटे कद के बावजूद लम्बे-लम्बे छक्के मारना और बाल को सही दिशा में भेजने की कला के कारण दर्शकों ने उन्हें लिटिल मास्टर का खिताब दिया जो बाद में सचिन के नाम का ही पर्यायवाची बन गया।

टेस्ट क्रिकेट से संन्यास 

२३ दिसम्बर २०१२ को सचिन ने वन-डे क्रिकेट से संन्यास लेने घोषणा कर दी।[15] लेकिन उससे भी बड़ा दिन तब आया जब उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से भी संन्यास लेने की घोषणा की। इस अवसर पर उन्होंने कहा - "देश का प्रतिनिधित्व करना और पूरी दुनिया में खेलना मेरे लिये एक बड़ा सम्मान था। मुझे घरेलू जमीन पर २०० वाँ टेस्ट खेलने का इन्तजार है। जिसके बाद मैं संन्यास ले लूँगा।"[16]उनकी चाहत के अनुसार उनका अन्तिम टेस्ट मैच वेस्टइण्डीज़ के खिलाफ मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम में ही खेला गया।[17]
और जैसा उन्होंने कहा था वैसा ही किया भी। १६ नवम्बर २०१३ को मुम्बई के अपने अन्तिम टेस्ट मैच में उन्होंने ७४ रनों की पारी खेली। मैच का परिणाम भारत के पक्ष में आते ही उन्होंने ट्र्स्ट क्रिकेट को अलविदा! कह दिया।[18]


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