जौनपुर के मुफ़्ती हाउस में कोलकता के इमामे अतहर अब्बास जी से एक मुलाकात हुई ,उनसे काफी अच्छी जानकारियां प्राप्त हुई उन्हों ने बताया की हजरत अली के पुत्र है मोहम्द साहब के नाती है सन 60हिजरी में हुसैन का जन्म हुवा Iयज़ीद मोवाबिया का पुत्र था वो बड़ा ही जल्लाद व क्रूरता का व्यवहार करता था वो आपने को सत्ता में रखने के लिए सबसे अपना समर्थन लेने लगा वहां के गवर्नर को उसने बुलाया और उससे बोला की तुम मेरा पैगाम लेकर हुसैन के पास जाओ और उससे बोलो की वो हमे समर्थन करे यदि वो न करे तो उसका सर कलम कर मेरे पास लाना इमाम हुसैन एक सच्चे और नेक बंदे थे वो एसे सैतान के आगे सर झुकाने से बढियां अपना सर कटवाना पसंद करे गे ,इमाम हुसैन ने अपने 72 साथियों के साथ
कर्बला में थे इंकार करने पर यजीद ने उनके 72 साथियों को चारो तरफ से घेर लिया और भूखे प्यासे रखा सन 16हिजरी में दो मोहर्रम को कर्बला पहुंचे 10 मोहर्रम को युद्ध शुरू हुवा और वो बहादुरी के साथ लड़ना शुरू किया हुसैन ने कहा की जिल्लत की जिन्दगी से ज्यादा बेहतर है की लड़ते-लड़ते अपनी जान देदें Iइमाम हुसैन की इस क़ुरबानी से पुरे दुनिया में उनका नाम अम्र हो गया .....आगे की कहानी अगले ब्लॉग में --मनीष
कर्बला में थे इंकार करने पर यजीद ने उनके 72 साथियों को चारो तरफ से घेर लिया और भूखे प्यासे रखा सन 16हिजरी में दो मोहर्रम को कर्बला पहुंचे 10 मोहर्रम को युद्ध शुरू हुवा और वो बहादुरी के साथ लड़ना शुरू किया हुसैन ने कहा की जिल्लत की जिन्दगी से ज्यादा बेहतर है की लड़ते-लड़ते अपनी जान देदें Iइमाम हुसैन की इस क़ुरबानी से पुरे दुनिया में उनका नाम अम्र हो गया .....आगे की कहानी अगले ब्लॉग में --मनीष
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