Saturday, January 9, 2016

जौनपुर के शाही किले की अनसुनी सच्ची कहानी ........जानिये क्या है कहानी ?

जौनपुर का शाही किला गोमती पुल के उत्तरी छोर के पूर्व में स्थित है.शाही किले का निर्माण फ़िरोज़ शाह तुगलक द्वारा कराया गया.किले की ज़मीन जों केरार बीर के अधिपत्य में था,फ़िरोज़ शाह तुगलक अपने शासन कल में केरार बीर की ज़मीन को हथिया कर उसपे शाही किले का निर्माण कराया.किले के निचे केरार बीर दैत्य का  मंदिर स्थापित है.किले की एक दिवार पर केरार बीर दैत्य की बहन किला मरीन का समाधी स्थल है,जिसे दिवार में जिंदा चुनवा दिया गया था .स्थापना के दृष्टी से देखा जाय तो किला चतुर्भुजी है,किला चारो तरफ से पत्थरों के दिवार से घिरा हुआ है .किले के मुख्या प्रवेश द्वार पर पोर्ट शैली में स्थित है,जिसकी बनावट टाइल को काटकर एक संकीर्ण रास्ते के  द्वारा बना है.किले का पूर्वी द्वार निकले हुए छज्जे के आकार का है .मुनीम खान ने बहार एक कोर्ट का निर्माण कराया जो सुन्दर व मजबूत पत्थरों द्वारा बनाया गया है.उसमे एक द्वार मुख्या रूप से सुरक्षा के दृष्टी से बनाया गया था,जब आप किले में प्रवेश करेंगे तो उसमें दो सुन्दर भवन का निर्माण कराया गया था.प्रथम भवन को तुर्की के तर्ज़ पर उसका नक़ल कर एक स्नान गृह का निर्माण करवाया गया,तथा दूसरा भवन मस्जिद के रूप में बनवाया गया,जिसकी लम्बाई १३० फीट लम्बी तथा २२ फीट चौड़ी हिन्दुकालीन पाषाणस्तंभों द्वारा निर्माण कराया गया.मुख्य द्वार पर अभिलेख युक्त पाषाणस्तम्भ रखा गया है जिसकी तिथि १७६६ ई. बताई जाती है.......मनीष 

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