मेरा देश अंग्रेजों की गुलामी में था तब तक मेरे देश वाशी अंग्रेजी हुकुमत की गुलामी से जलता था ,न जाने कितने यातनाये झेलता था मेरे देश वाशी ,उनके जुल्म का शिकार मेरे प्यारे भोले देश वाशी झेलते थे,जिसको आजाद कराने में हिन्दू , मुस्लिम ,सिक्ख सभी भाई मिलके देश को आजाद कराने में अपने प्राण त्याग दिए एवं ,अपने जान का परवाह किये बिना अंग्रेजो की यातनाएं सहते हुए उसने अपने भारत माता को आजाद करने के लिए अपने जान का प्रवाह न करते हुवे निरंतर संघर्ष करते हुवे एवं , जब देश में आजादी की क्रांति आई तो उस क्रांति के साथ एक काली रात भी आई जो अपने साथ बहुत कुछ बहा के ले गई जो अपने भारत को दो भागों में जला दिया ,इस बटवारे में भी अपना भारत जलता रहा और अपने को बिछड़ने के गम में व अंग्रेजों के द्वारा लगाये गये इस बटवारे की आग में आज तक देश जल रहा है, अब तो ये माहौल हो गया है की भाई - भाई को मारने पे उतारू हो गया है सीमा पर एक रेखा खीच दी गई कि एक मेरा भाई उस पार है दूसरा मेरा भाई इस पार है दोनी जल रहे हेतथा दुश्मनी के आग में तो कहि अपनों के बिछड़ने की आग में कब तक जले गा मेरा ये देश सोने की चिड़िया कहे जाने वाला मेरा भारत आज तक जल रहा है .............मेरे अगले लेख में देश के जलने की आगे की लेख मेरे दुसरे भाग में ..............जलता है मेरा देश तो रोता है मेरा दिल ....मनीष
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