इन्सान अब इन्सान न होकर शैतान हो चूका है उन्हें वैसी ,दरिंदा ,हैवान या बलात्कारी कहना भी कम होगा ,इस युग के इन्सान की हैवानियत इतनी बढ़ चुकी है की व हैवानियत की हर सीमा को पार कर चुके है अब मासूम बच्चियां भी इन शैतानो का शिकार हो रही है ,ये वैसी दरिन्दे इतना गिर चुके है की इनको उम्र की भी प्रवाह नही है डेढ़ साल की बच्ची से मैनपुरी में दर्दनाक हैवानियत ,चार साल की बच्ची के साथ मुजफ्फरनगर में इंसानियत को शर्मसार करने वाली हैवानियत का नंगा खेल . सात साल की बच्ची के साथ जौनपुर के मडियाहूँ में भी हैवानियत का नंगा खेल खेला गया .आखिर क्यू इन्सान इतना निचे गिरता चला जा रहा है ,इस संसार में कब तक एसी हैवानियत का खेल खेला जायेगा, एसे सैतानो के साथ क्या किया जाना चाहिए ,इसका कौन दोषी है आखिर क्यू इंसान एसे हैवानियत का नंगा खेल खेलने को आतुर हो जाता है ,कब तक इस तरह की घटना इस संसार में होता रहेगा,आखिर कब तक ?